सुदेशी और सुराज्य (२ )

गांधी जी ने देश की आजादी के दौरान ‘स्वदेशी और स्वराज्य’पर जोर दिया था उनका प्रयास सफल भी रहा था.आज हम राजनीतिक रूप से स्वतंत्र तो हैं ,परन्तु आर्थिक रूप से पहले से कहीं ज्यादा गुलाम हैं.इसी ब्लॉग में मैंने आज ‘सुदेशी और सुराज्य’ आंदोलन चलाये जाने की आवश्यकता समझानी चाही थी.इसकी क्यों जरूरत है?आइये देखें प्रस्तुत लेख को,जो निष्काम परिवर्तन पत्रिका (अप्रैल २०००)में प्रकाशित हुआ था.-

कोई भी देश भक्त नागरिक बड़ी आसानी से मान लेगा कि इस लेख में वर्णित सभी बातें बिलकुल सही हैं.फिर यह हम सभी का दायित्व है कि अपने -अपने स्तर से  तो विदेशी कं. के बने मालों का प्रयोग बंद कर दें जैसा कि श्री मनोज कुमार जी ने अपनी टिप्पणी में सुझाव भी दिया था.सम्भव हो तो राजनीतिक मतभेदों को भुला कर   एक जोरदार अभियान ‘सुदेशी और सुराज्य’के मुद्दे पर चलाया जाना चाहिए.देखिये आज के हिंदुस्तान में छपे विक्कीलीक्स के इस खुलासे को कैसे साम्राज्यवादी हमारे देश को दबाव में लेना चाहते हैं?साम्राज्यवाद पर हमले का विरोध कर संकीर्ण मनोवृति के लोग क्या चाहते हैं?

‘हिंदुस्तान’-लखनऊ-29/03/2011